इबादत (उपासना पद्धति) इस्लाम ईमानियात (मान्यताएं) ग़लतफहमियां राजनीतिक मुद्दे रिवाज और शिष्टाचार विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे सुन्नत हदीस

नया चांद देखने का मुद्दा

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/rooyat_e_hilal.pdf नया चांद देखने का मुद्दा अल्लाह तआला ने रोज़े रखने के लिए रमज़ान और हज करने के लिए ज़िलहिज का महीना तय किया है। यो दोनों चांद के महीने (चन्द्रमास) हैं, इसलिए यह सवाल शुरू से ही विवाद का विषय रहा है कि इन महीनों का निर्धारण कैसे किया जाए। खगोलशास्त्र…

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दीन का स्रोत

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Deen_ka_source.pdf दीन का स्रोत अल्लाह ने इंसान को पैदा किया तो दो चीज़ें उसके अन्दर रख दींः एक यह भावना कि उसका एक बनाने वाला या पैदा करन वाला है जो उसका मालिक है। दूसरी यह भावना या समझ कि क्या काम अच्छा है और क्या बुरा है? इन दोनों भावनाओं के…

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इस्लाम के मौलिक सिद्धांत

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Islam_ke_maulik_siddhant.pdf इस्लाम के मौलिक सिद्धांत हमने दीन को जिस तरह समझा है, उसमें तीन चीज़ें मौलिक सिद्धांतों के रूप में हैः पहला यह कि क़ुरान सत्य व असत्य को अलग अलग करने वाली कसौटी और तराज़़ू (‘‘फ़ुरक़ान “ और ‘‘मीज़ान”) है और जो भी आसमानी संदेश जहां कहीं भी जब कभी भी…

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किस्मत और पूर्वनियति

कुछ मुसलमान मानते हैं कि भाग्य तो पहले से लिखा हुआ है। अगर ऐसा है तो फिर कुछ लोग उन कर्मों (अमाल) के लिए नरक में क्यों जायेंगे जो उनकी किस्मत में पहले से लिखे हुए थे ? इस बारे में तो वह कुछ नहीं कर सकते। इसके अलावा यह सवाल भी पैदा होता है कि…

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मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिम

इस्लाम के सिवा बाक़ी तमाम मज़हबों के मानने वालों को ग़ैर-मुस्लिम कहा जाता है। यही शब्द/परिभाषा उन लोगों के लिए भी है जो किसी दीन या मज़हब को नहीं मानते। ये कोई अपमान का शब्द नहीं है, बल्कि सिर्फ इस वास्तविकता का इज़हार है कि वो इस्लाम के मानने वाले नहीं हैं। उन्हें आम तौर पर काफ़िर भी कह दिया जाता है, लेकिन हमने अपनी किताबों में…

ईमानियात (मान्यताएं)

नबूव्वत का परिचय – भाग 1

लेखक: जावेद अहमद ग़ामिदी अनुवाद: मुश्फ़िक़ सुल्तान إِنَّا أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ كَمَا أَوْحَيْنَا إِلَىٰ نُوحٍ وَالنَّبِيِّينَ مِن بَعْدِهِ ۚ وَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ إِبْرَ‌اهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ وَالْأَسْبَاطِ وَعِيسَىٰ وَأَيُّوبَ وَيُونُسَ وَهَارُ‌ونَ وَسُلَيْمَانَ ۚ وَآتَيْنَا دَاوُودَ زَبُورً‌ا ﴿١٦٣﴾ وَرُ‌سُلًا قَدْ قَصَصْنَاهُمْ عَلَيْكَ مِن قَبْلُ وَرُ‌سُلًا لَّمْ نَقْصُصْهُمْ عَلَيْكَ ۚ وَكَلَّمَ اللَّـهُ مُوسَىٰ تَكْلِيمًا ﴿١٦٤﴾ رُّ‌سُلًا مُّبَشِّرِ‌ينَ وَمُنذِرِ‌ينَ لِئَلَّا…