इबादत (उपासना पद्धति) इस्लाम ईमानियात (मान्यताएं) ग़लतफहमियां राजनीतिक मुद्दे रिवाज और शिष्टाचार विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे सुन्नत हदीस

नया चांद देखने का मुद्दा

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/rooyat_e_hilal.pdf नया चांद देखने का मुद्दा अल्लाह तआला ने रोज़े रखने के लिए रमज़ान और हज करने के लिए ज़िलहिज का महीना तय किया है। यो दोनों चांद के महीने (चन्द्रमास) हैं, इसलिए यह सवाल शुरू से ही विवाद का विषय रहा है कि इन महीनों का निर्धारण कैसे किया जाए। खगोलशास्त्र…

इस्लाम पवित्र कुरआन रिवाज और शिष्टाचार विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

क़ुरआन के उच्चारण (क़िराअत) के तरीक़ों में फर्क़

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/qirat_ka_ikhtilaf.pdf क़ुरआन के उच्चारण (क़िराअत) के तरीक़ों में फर्क़ हमने अपनी किताब मीज़ान के प्राक्कथन में मौलिक सिद्धांतो के अन्तर्गत लिखा है कि क़ुरआन केवल वही है जो ग्रन्थ में लिखा है और जिसे पश्चिमी जगत के कुछ क्षेत्रों को छोड़ कर पूरी दुनिया में मुसलमानों की विशाल बहुसंख्या किसी मामूली से…

इतिहास इस्लाम ग़लतफहमियां पवित्र कुरआन रिवाज और शिष्टाचार विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

मुसलमानों का पतन

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/musalmano_ka_zawal.pdf मुसलमानों का पतन मुसलमान लगभग 1000 साल तक दुनिया की एक बड़ी ताक़त रहे हैं। ज्ञान, बुद्धिमता और बौद्धिकता, राजनीति व कूटनीति और मालदारी व शानदारी में कोई क़ौम उनका मुक़ाबला नहीं कर सकती थी। वो पूरी दुनिया पर राज कर रहे थे। यह बादशाही उन्हें अल्लाह ने दी थी और…

इस्लाम ग़लतफहमियां विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

अंगों का प्रत्यारोपण

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Ango_ka_pratiyaropan.pdf अंगों का प्रत्यारोपण पिछली दो सदियों में साइंस ने जो करिशमे दिखाए हैं और इंसानियत के लिए जो सुविधाएं विक्सित की हैं उनमें से एक असाधारण चीज़ यह है कि सर्जरी के माध्यम से इंसान के ख़राब अंगों को किसी दूसरे व्यक्ति के स्वस्थ अंगों से बदला जा सकता है। यह…

इस्लाम रिवाज और शिष्टाचार विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे सुन्नत हदीस

दाढ़ी रखने और पाजामा नीचे न लटकाने का मुददा

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Darhi_aur_izar.pdf दाढ़ी रखने और पाजामा नीचे न लटकाने का मुददा दाढ़ी मर्द रखते रहे हैं। पैग़म्बर सल्ल. ने  भी दाढ़ी रखी हुई थी। आपके मानने वालों में कोई शख़्स अगर आपके साथ अपने दिली सम्बंध और आपकी नक़ल करने के जज़्बे से दाढ़ी रखता है तो इसे सवाब की बात समझ सकते…

इस्लाम दावत विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

हमारी दावत

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/hamari_dawat.pdf हमारी दावत दीन अल्लाह तआला की हिदायत है जो अल्लाह ने पहले इंसान की प्रकृति और स्वभाव में रखी और उसके बाद उसकी सभी ज़रूरी तफ़्सील (विवरण) के साथ अपने पैग़म्बरों के माध्यम से इंसान को दी है। इस सिलसिले की आख़री कड़ी पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हैं। इस लिहाज़…

इस्लाम विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

आम व ख़ास

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Aam_wa_Khaas.pdf आम व ख़ास दुनिया की किसी भी भाषा में यह तरीक़ा नहीं है कि हर शब्द एक ही अर्थ और हर शैली एक ही मक़सद के लिए विक्सित हुई हो। आम तौर से शब्दों के बहुत से अर्थ होते हैं। इसलिए यह फ़ैसला करना कि किसी कलाम में कोई शब्द किस…

इस्लाम ग़लतफहमियां दण्ड विधान सामाजिक मुद्दे

दियत की वास्तविकता

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Diyat_ki_Wastawikta.pdf दियत की वास्तविकता दियत क़ुरआन की एक शब्दावली है जो किसी की हत्या के अपराधी द्वारा अपनी जान बचाने के लिए मृतक के परिजनों को मुआवज़े के रूप में दी जाने वाली रक़म के लिए इस्तेमाल हुई है। यहां इस शब्द के अर्थ पर चर्चा की गयी है जिसके लिए लेखक…

इस्लाम ग़लतफहमियां दण्ड विधान सामाजिक मुद्दे

रजम की सज़ा

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Rajam_ki_Saza.pdf रजम की सज़ा (विवाहित मर्द या औरत पर ज़िना (व्यभिचार) का जुर्म साबित होने पर उसे पत्थरों से मार कर हिलाक करने की सज़ा का बयान सही हदीसों में आया है। इसे ‘रजम’ करना कहते हैं। इस लेख में लेखक ने इसी विषय पर चर्चा की है। यह लेख मौलाना अमीन…

दावत विचार विमर्ष सामाजिक मुद्दे

मुसलमान और संवाद

विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच संवाद वर्तमान समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। फिर भी संवाद की अपेक्षाकृत कुछ-ही पहल मुसलमानों के द्वारा शुरू की गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आम तौर पर मुसलमान धार्मिक मामलों में ग़ैर-मुस्लिमों के साथ दूरियाँ ख़त्म करने में विश्वास नहीं रखते हैं। वे उन्हें मुसलमान बनाने में विश्वास रखते हैं और उनके अंदर दूसरे धर्म के मानने वालों से श्रेष्ठ होने का एक गहरा एहसास है।इसलिए आमतौर पर वो दूरियाँ ख़त्म करने के किसी भी संवाद में शामिल होना पसंद नहीं करते हैं।