ग़लतफहमियां महिलाओं से संबंधित सामाजिक मुद्दे

इस्लाम में गुलाम और लौंडी  

लेखक:  जावेद अहमद ग़ामदी संकलन: शेहज़ाद सलीम अनुवाद : मुहम्मद असजद इस्लाम के बारे में कई अन्य गलत धारणाओं (तसव्वुर) में से एक धारणा यह भी है कि इस्लाम गुलामी को मंजूरी देता है और अपने मानने वालों को इजाज़त देता है कि वह युद्ध के कैदियों, खासकर महिलाओं को दासी बनाएं और उनसे विवाहेतर (extra-marital) संबंध रखें।…

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ख़िलाफ़त

["इसलाम और रियासत – एक जवाबी बयानिया” पर ऐतराज़ात के जवाब में लिखा गया लेख] जावेद अहमद ग़ामिदी  अनुवाद: आक़िब ख़ान इसमें शक नहीं कि “ख़िलाफ़त” का लफ़्ज़ कई सदीयों से “इस्तिलाह”* के तौर पर इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन ये हरगिज़ कोई “मज़हबी इस्तिलाह” नहीं है। मज़हबी इस्तिलाह राज़ी, ग़ज़ाली, मावरदी, इब्न हज़म और इब्न ख़लदून** के बनाने से नहीं बनती और ना ही हर वो लफ़्ज़ जिसे मुसलमान किसी ख़ास मायने में इस्तेमाल करना…

ग़लतफहमियां निकाह और तलाक़ महिलाओं से संबंधित सामाजिक मुद्दे

पति की इजाज़त के बिना बाहर जाना

लेखक: शेहज़ाद सलीम अनुवाद: मुहम्मद असजद मज़हबी हलकों में यह माना जाता है कि एक पत्नी को घर से बाहर जाने के लिए पति की इजाज़त लेना ज़रूरी है। इस मामले में एक हदीस का हवाला दिया जाता है, जो कि इस प्रकार है: इब्न उमर (रज़ि.) से रवायत हैं कि एक बार एक महिला रसूलअल्लाह…

ग़लतफहमियां निकाह और तलाक़ महिलाओं से संबंधित सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

पत्नी का हमबिस्तरी से इंकार करना

लेखक: शेहज़ाद सलीम अनुवाद: मुहम्मद असजद निम्नलिखित हदीस की बुनियाद पर, आमतौर पर यह समझा जाता है कि अगर पत्नी पति से हमबिस्तर होने के लिए मना कर दे तो फ़रिश्ते उसे धिक्कारते हैं। अबू हुरैरा (रज़ि.) से रवायत हैं कि रसूलअल्लाह (स.व) ने फरमाया: “जब पति अपनी पत्नी को हमबिस्तरी के लिए कहे और वह…

ग़लतफहमियां निकाह और तलाक़ महिलाओं से संबंधित सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

पत्नी पर हाथ उठाने का अधिकार

कुरआन ने कुछ खास परिस्थितियों (हालात) में पति को अधिकार दिया है कि वह पत्नी को शारीरिक दंड दे सकता है और यह मामला एक बड़ी बहस का मुद्दा बन चुका है। इस पूरे मामले को इसके सही स्वरूप में समझना ज़रूरी है। कुरआन कहता है: وَاللَّاتِي تَخَافُونَ نُشُوزَهُنَّ فَعِظُوهُنَّ وَاهْجُرُوهُنَّ فِي الْمَضَاجِعِ وَاضْرِبُوهُنَّ فَإِنْ…

Social Issues अन्य धर्म ग़लतफहमियां दावत सामाजिक मुद्दे

क्या गैर-मुस्लिमों से दोस्ती नहीं की जा सकती ?

कुरआन की निम्नलिखित आयत की बुनियाद पर कुछ मुसलिम विद्वान (आलिम)[1] यह राय रखते हैं कि मुसलमानों को गैर-मुस्लिमों से मित्रता नहीं रखनी चाहिए, बल्कि उन्हें उनके लिए दुश्मनी और नफ़रत भरा रवैया रखना चाहिए: لَّا يَتَّخِذِ الْمُؤْمِنُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ [٣: ٢٨]  ईमान वाले अब मुसलमानों को छोड़कर इन काफिरों को अपना दोस्त ना बनायें। (3:28)…

Economic Issues Social Issues आर्थिक मुद्दे सामाजिक मुद्दे

यतीम पोते की विरासत

लेखक: जावेद अहमद ग़ामिदी  अनुवाद: मुहम्मद असजद पोते की विरासत में दादा और दादा की विरासत में पोते का कोई हिस्सा साफ तौर पर तो कुरआन में बयान नहीं हुआ, लेकिन أولاد (औलाद) और آبا (आबा) के शब्दों में लुग़त (शब्दकोश) और उर्फ़ (इस्तेमाल), दोनों के एतबार से दादा और पोता भी शामिल हो जाते…