जावेद अहमद ग़ामिदी
अनुवाद: मुहम्मद असजद
नाखूनों पर किसी ना किसी तरह की सामग्री से रंग करना आमतौर पर महिलाओं के बनाव-श्रृंगार का हिस्सा है। आज के दौर में अलग-अलग तरह की नेल पॉलिश इसके लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इसके नतीजे में यह सवाल उठता है कि ऐसे में वुज़ू किस तरह होगी ?
इस सवाल के जवाब में जाने से पहले यह बुनियादी बात समझ लेनी चाहिए कि एक तो वह मामले होते हैं जिनमे अल्लाह या उसके पैगंबर ने किसी बात को बिलकुल साफ तौर पर एक हुक्म की सूरत में बयान कर दिया होता है। यहाँ अल्लाह और उसके पैगंबर की बात को समझना और समझाना होता है, हम इसमें अपनी तरफ से कुछ नहीं कह सकते। यानी अल्लाह और उसके रसूल जब किसी बात को कह देते है वहां हमारे लिए अपनी तरफ से कोई राय कायम करने का सवाल नहीं होता वहां सिर्फ बात को समझना होता है और समझाना भी होता है। दूसरा दायरा वह है कि जिसमे कोई आलिम अपनी राय कायम करता है, उसके लिए रसूलअल्लाह (स.व) ने कुछ हिदायात दी हैं।
एक तो यह है कि जब कभी कोई ऐसी ज़रूरत पेश आ जाए जिसमें बात साफ तौर पर बयान ना की गयी हो तो अब वहां इज्तेहाद करना है, यानी अब एक आलिम को अब अपनी अक्ल से एक राय कायम करनी है, तो पहली चीज़ तो यही है कि इसमें अक्ल को लाज़िम तौर पर इस्तेमाल करना है। जब राय देनी ही अक्ल से है तो ज़रूरी है की अक्ल का इस्तेमाल किया जाये।
दूसरी चीज़ यह है कि जो दीन का असल मकसद है वह हमेशा सामने रखना चाहिए। जो असल मकसद है वह किसी शक्ल में भी खराब नहीं होना चाहिए। जिस तरह दीन में नमाज़ का एक मकसद है, वुज़ू का अपना एक मकसद है, उस मकसद के खिलाफ कोई बात नहीं हो जानी चाहिए।
और तीसरी हिदायत यह है कि जब भी इस तरह का कोई मौका आ जाये तो लोगों के लिए आसानी पैदा करें मुश्किल ना पैदा करें। बशारत दें, नफ़रत ना पैदा करें। तो यह कुछ उसूल है जिन की रहनुमाई में कोई राय कायम की जाती है। नेल पॉलिश के मामले में भी अल्लाह और उसके पैगंबर ने कोई हुक्म दे दिया होता तो फिर किसी के कुछ कहने की गुंजाईश बाकि ना रहती लेकिन इस बारे में कोई बात कही नहीं गयी, तो अब हमें इसमें इज्तिहाद करना है यानी उपर बयान किये गए उसूलों की रौशनी में एक राय कायम की जाएगी।
अब नेल पॉलिश और वुज़ू के सवाल पर वापिस आते हैं। इस सवाल के आमतौर पर तीन जवाब दिए गए हैं:
पहला, अगर नेल पॉलिश लगायी हुई है तो ऐसे में वुज़ू नहीं की जा सकती लिहाज़ा हर बार वुज़ू करने से पहले नेल पॉलिश साफ़ करनी होगी।
दूसरा, नेल पॉलिश लगाने से हाथों पर कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए नेल पॉलिश उतारे बिना भी वुज़ू की जा सकती है।
तीसरा, जिस तरह मोज़ों-जुराबों पर मसाह कर लिया जाता है इस मामले को भी उसी तरह लिया जाये, यानी अगर नेल पॉलिश वुज़ू करने के बाद लगायी गयी है तो फिर उसे साफ करने की ज़रूरत नहीं; उसके ऊपर ही वुज़ू की जा सकती है। लेकिन अगर नेल पॉलिश वुज़ू करने से पहले लगाई गयी है तो फिर पहले नेल पॉलिश साफ करेंगे और उसके बाद वुज़ू की जाएगी।
हम इसमें तीसरे तरीक़े को सबसे बेहतर मानते हैं। इसमें ज़रूरी एहतियात भी हो जाती है और औरतों पर गैर-ज़रूरी बोझ भी नहीं पड़ता। यही पाकीज़गी इख्तियार करने के मकसद में करीबतर है।